सरकार बदलने के बाद उत्तर प्रदेश में सिपाहियों की भर्ती में सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है। लेकिन गड़बड़ी का सिलसिला इतना ही नहीं है। एक अन्य घोटाले की जांच कर रहे दल को पता चला है कि यूपी के होनहार और ज्ञानी पुरुष पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के गांव सैफई में बसते हैं। पिछले साल आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में हुई नियुक्ति का 15 फीसदी हिस्से को इस छोटे गांव ने पूरा किया है। जबकि 2001 की जनगणना के अनुसार इसकी आबादी 3 हजार 817 है। इसे पूर्व मुख्यमंत्री के गांव का असर कहें या कलाबाजी, लेकिन सरकारी दस्तावेज यही बता रहे हैं। कॉलेज में 368 कर्मचारियों की नियुक्ति हुई और 50 से अधिक कर्मचारी सैफई के ही हैं। मायावती सरकार द्वारा गठित जांच दज के सामने अब नियुक्ति घोटले के राज खुल रहे हैं।
आगरा के मेडिकल कॉलेज में नियुक्तियों का दौर एक वर्ष से अधिक समय तक चला। सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी के अनुसार साढ़े तीन सौ कर्मचारियों की भर्ती के लिए हजारों युवकों ने आवेदन दिया था। दिसम्बर 2006 तक तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के बताए जा रहे हैं। अब सबसे अहम सवाल उठता है कि आखिर हजारों अभ्यर्थियों में सबसे योग्य तत्कालीन मुख्यमंत्री के गांव सैफई के ही हैं? गौरतलब है कि सैफई इटावा जिले का छोटा सा गांव है। सैफई को अलग करें तो 20 कर्मचारी भी पूरे इटावा के निवासी नहीं हैं। जानकारों का कहना है कि नियुक्ति की प्रक्रिया के दौरान सत्ताधारी नेताओं ने जमकर लाभ उठाया। खासकर खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और उनके भाई शिवपाल सिंह यादव। सारी नियुक्तियां थिएटर टेक्नीशियन, प्लास्टर टेक्नीशियन, वर्कशॉप मिस्त्री, इलेक्ट्रीशियन आदि तकनीकि पदों के लावा गैस प्लांट मिस्त्री, जेनरेटर ऑपरेटर आदि पदों पर हुई थी। सैफई के पढ़े लिखे निवासी सिपाही और टेक्नीशियन हो गए और कम पढ़े लिखे फोर्थ ग्रेड की नौकरी पा ली। यहां का युवक पूर्व मुख्यमंत्री की कृपा से अब बेरोजगार नहीं रहा। मायावती सरकार इस राज का पर्दाफाश कर रही है।
1 comment:
the importent matter is that if they are serving well or not?
Post a Comment