Thursday, November 22, 2007

कीटनाशकयुक्‍त गेंहू खाकर आठ मोर मरे

पछता रहे हैं फतेहपुर सीकरी के ग्रामीण
कीटनाशकों के प्रयोग का दुष्‍प्रभाव आम जीवन में हम शायद ही महसूस कर पाते हैं। लेकिन फतेहपुर सीकरी के कराही गांववासी अब पछता रहे हैं। दरअसल, यहां के खेतों में बोए गए कीटनाशकयुक्‍त गेहूं, मोरों का काल बन गया। 21 नवम्‍बर को खेत में आठ मरे हुये मोर को देखकर ग्रामीण अवाक रह गये। चोंच में पड़े गेंहूं के दाने को देखकर यह समझते देर न लगी कि खेतों कीटनाशकों की वजह से राष्‍ट्रीय पक्षी की मौत हुई।

कीटनाशकों का धड़ल्‍ले से प्रयोग करने के आदी किसानों को अब इस गांव में मोर देखने को नहीं मिलेंगे। देश में छोटी चिडि‍़यां कीटनाशकयुक्‍त बीज खाकर लगातार मर रही हैं। लेकिन अबतक इनपर ध्‍यान नहीं दिया जाता है, क्‍योंकि मरते ही कुत्‍ते व अन्‍य जानवर उठा ले जाते हैं। लेकिन प्रकॄति के सौंदर्य को प्रदर्शित करने वाले मोर के एकसाथ काफी संख्‍या में मरने की घटना ने लोगों को कीटनाशकों के असर का अहसास दिलाया है। मोरों को कुत्‍ते नोच रहे थे। ग्रामीण बनवारी ने बताया कि‍ बुधवार सुबह जब वह खेत की ओर गया तो, खेत में सात-आठ मोर मरे हुए थे। कुछ ही देर में अन्‍य ग्रामीणों से सूचना मिली कि‍ गांव में कई जगह मोर मरे पड़े हैं। इन्‍हें देखकर ग्रामीण परेशान हो उठे। ग्रामीणों का कहना है कि कुछ दिन पहले ही खेतों में गेहूं की बुवाई हुई है। खेतों में बोए गए गेहूं को कीटनाशकों से उपचारित कि‍या गया था। इसी गेहूं के खाने से मोरों की मौत हुई है।

गौरतलब है कि कीटनाशकों की वजह से खेती में मदद करने वाले कई जीव नष्‍ट हो रहे हैं। मेढ़क प्रतिदिन अपने वजन का कीड़ा खा जाता है। लेकिन कीटनाशकों की वजह से अब इसकी टर्रराहट भी जल्‍दी सुनने को नहीं मिल रही है। अगर देश की किसान जैविक खादों की ओर न लौटे तो न जानें कितने पक्षियों और जीवों का अस्तित्‍व खतरे में पड़ जायेगा। लोग तो खुद पर इसका दुष्‍प्रभाव भयंकर बीमारियों से भुगत ही रहे हैं।
(हिन्‍दुस्‍तान से साभार)

1 comment:

समयचक्र said...

यह बड़ा संवेदनशील मसला है इस पर सभी को गंभीरता से विचार करना होगा. जबलपुर शहर मे गोसालपुर के समीप एक बड़ा तालाब है जिसमे देश ओर यूरोप,रूस,अफ़्रीका आदि से 37 प्रकार के पक्षियो की प्रजाति आती है.पर यहाँ के गाँव वाले इतने सजग है कि कोई बाहरी आदमी पक्षिओ को पत्थर फैंक कर मारने क़ी हिम्मत नही कर सकता है.गन्व वाले पक्षिओ को अपना मेहमान मानते है ओर उनकी सुरक्षा करते है ओर उन्हे दाना भी उपलब्ध करते है.इस मामले मे गाँव वालो को अब स्यम सजग होना पड़ेगा.