गरीबों की पैथी कही जाने वाली होमियोपैथी अब आम लोगों की पहुंच से दूर होने वाली है। इस चिकित्सा पद्धति पर चीन की नजर लग गई है। होमियोपैथी की दवाएं दो प्रकार की होती है। इनमें से एक बायोकेमिक है, जिसे आम आदमी थोड़ी सी जानकारी रखकर भी इसका इस्तेमाल कर सकता है। बायोकेमिक बनाने के लिए हॉलैंड के शुगर ऑफ मिल्क (दूध का विशेष तरह पाउडर) की जरूरत पड़ती है। चीन की एक कंपनी ने हॉलैंड के साथ समझौता कर शुगर ऑफ मिल्क की बिक्री अपने कब्जे में कर लिया है। इसके बाद कीमत तीन से चार गुनी तक बढ़ा दी गई है। इसका असर भारत में होमियोपैथिक दवाओं पर भी हो गया है। जल्द ही कीतम और बढ़ने की बात कही जा रही है।
होमियोपैथिक दवाएं सस्ती और दुष्प्रभाव रहित होती है। इसके कारण गरीब और मध्यम वर्गीय लोगों के बीच दवाएं बहुत लोकप्रिय हो चुकी है। अब कीमत बढने का प्रभाव मरीजों पर ही पड़ रहा है। आम तौर पर होमियोपैथिक चिकित्सक ही परामर्श के साथ दवाएं भी देते हैं। इनमें से कई डॉक्टर बायोकेमिक दवाओं का प्रयोग करते हैं। शुगर ऑफ मिल्क की कीमत बढ़ने के साथ ही डॉक्टरों ने फीस की रकम बढ़ा दी है। दवा विक्रेता योगेश चंद्र शर्मा का कहना है कि छह महीने पहले तक शुगर ऑफ मिल्क सौ रुपये किलोग्राम बिकता था। लेकिन आज इसकी कीमत तीन सौ रुपये तक पहुंच गई है। बायोकेमिक दवाओं का इस्तेमाल आम आदमी भी कर सकता है। सरकार को आमलोगों का ख्याल करते हुए कीमत की बढ़ोत्तरी पर लगाम लगानी चाहिए। अगर यही चलता रहा तो गरीब जनता पर संकट आ जाएगा।
बायोकेमिक दवा की बढ़ती कीमत को देखकर कंपनियों ने होमियोपैथी में प्रयोग होने वाले दूसरी प्रकार की दवा 'डायुशन' और मदर टिंचर के दाम में भी इजाफा कर दिया है। अब इसकी कीमत तीस प्रतिशत तक बढ़ गई है। दूसरी ओर होमियोपैथिक सीरफ, टॉनिक, शैम्पू और तेल की कीमत में पचास फीसदी तक बढोत्तरी कर दी गई है।
एलोपैथिक चिकित्सा में ज्यादा खर्च से परेशान लोगों के लिए होमियोपैथी ही एक सहारा बची थी। अब यह पैथी भी दूर होती जा रही है।
होमियोपैथिक दवाएं सस्ती और दुष्प्रभाव रहित होती है। इसके कारण गरीब और मध्यम वर्गीय लोगों के बीच दवाएं बहुत लोकप्रिय हो चुकी है। अब कीमत बढने का प्रभाव मरीजों पर ही पड़ रहा है। आम तौर पर होमियोपैथिक चिकित्सक ही परामर्श के साथ दवाएं भी देते हैं। इनमें से कई डॉक्टर बायोकेमिक दवाओं का प्रयोग करते हैं। शुगर ऑफ मिल्क की कीमत बढ़ने के साथ ही डॉक्टरों ने फीस की रकम बढ़ा दी है। दवा विक्रेता योगेश चंद्र शर्मा का कहना है कि छह महीने पहले तक शुगर ऑफ मिल्क सौ रुपये किलोग्राम बिकता था। लेकिन आज इसकी कीमत तीन सौ रुपये तक पहुंच गई है। बायोकेमिक दवाओं का इस्तेमाल आम आदमी भी कर सकता है। सरकार को आमलोगों का ख्याल करते हुए कीमत की बढ़ोत्तरी पर लगाम लगानी चाहिए। अगर यही चलता रहा तो गरीब जनता पर संकट आ जाएगा।
बायोकेमिक दवा की बढ़ती कीमत को देखकर कंपनियों ने होमियोपैथी में प्रयोग होने वाले दूसरी प्रकार की दवा 'डायुशन' और मदर टिंचर के दाम में भी इजाफा कर दिया है। अब इसकी कीमत तीस प्रतिशत तक बढ़ गई है। दूसरी ओर होमियोपैथिक सीरफ, टॉनिक, शैम्पू और तेल की कीमत में पचास फीसदी तक बढोत्तरी कर दी गई है।
एलोपैथिक चिकित्सा में ज्यादा खर्च से परेशान लोगों के लिए होमियोपैथी ही एक सहारा बची थी। अब यह पैथी भी दूर होती जा रही है।
1 comment:
यह बिल्कुल सच है कि शुगर मिल्क पर एकाधिकार की वजह से बायोकिमिक दवायें आसमान छूने लगी है । मुझे याद है कि लगभग एक साल पहले जो बायोकिमिक दवा SBL की ३०-३५/ मे मिल रही थी अब वह ५०-६५/ मे है । शुगर मिल्क जो १८ महीने पहले लगभ ४०००/ बैग था अब वह १०००० - १२००० मे है , शायद इधर कुछ दाम घटने की खबर आयी है , देखें कि दाम घटने के बाद बायोकिमिक के रेट मे कमी आती है कि नही ।
Post a Comment