Monday, September 24, 2007

भूकंप नहीं सह पाएगी यमुना में खड़ी इमारत

यमुना के भीतर और किनारे रेत कालोनिया बनाने की होड़ सी मची है। लेकिन सबसे खतरनाक बात यह है कि ऐसी कालोनी भूकंप का हल्‍का झटका भी नहीं सह पाएगी। भूकंप वैज्ञानिकों के अनुसार अगर चार रैक्‍टर पैमाने की भी हलचल हुई तो ताश के पत्‍तों की तरह इमारतें ढह जाएंगी। केन्‍द्र सरकार के शहरी भूकंप भेदता न्‍यूनीकरण कार्यक्रम (यूईवीआरपी) के अधिकारियों ने न‍दी में निर्माण को खतरनाक करार दिया है। ऐसी स्थिति में लोगों को यही कहा जाना चाहिए कि नदी के नहीं तो खुद के जीवन के लिए बि‍ल्डिंग न बनाओ।
आगरा भूकंप की दृष्टि से तृतीय खतरा वाला क्षेत्र है। अहमदाबाद भी इसी जोन में है। आगरा में भूकंपन का झटका कभी भी मिल सकता है। यूपी के राहत आयुक्‍त के नेतृत्‍व में चल रही यूईवीआरपी के प्रोजेक्‍ट समन्‍वयक जीवन पंडित का कहना है कि ठोस मिट्टी पर बनी इमारतों पर भूकंप का असर कम होता है। जबकि यमना और इसके तट रेत से भरा है। भूकंप होने पर रेत में भूजल मिल जाता है, इसे ल्क्विफिकेशन कहते हैं। यह दलदल बनाने का काम करता है। इससे नीव कमजोर हो जाती है और भवन ध्‍वस्‍त हो सकता है। भूकंप की दृष्टि से कभी भी नदी के पास निर्माण नहीं करना चाहिए।
बाढ़ के नजरिए से भी निर्माण ठीक नहीं है। मुम्‍बई में आंख मूंदकर बिल्डिंग बनाई गई और मीठी नदी का स्‍वरूप पतला हो गया। यही कारण है कि समुद्र का किनारा होने के बावजूद हल्‍की बारिश में ही मुम्‍बई में बाढ़ का नजारा देखने को मिलता है। बेंग्‍लरू की भी यही हालत है। हालांकि यमुना में पानी कम होने की वजह से रेत में नमी कम है, लेकिन पानी बढ़ने पर खतरनाक स्थित पैदा हो सकती है। भूकंपरोधी भवन के लिए भी दलदल सहने की क्षम‍ता होती है।
दूसरी परिस्थिति यह भी हो सकती है कि निर्माण के समय रेत में नमी हो और जब सूख जाय तो यह नमी खत्‍म हो जाय। इसके बाद नीव के पास जमीन खोखली हो जाती है। यहां निर्माण का मतलब है ''आ बैल मुझे मार''। पर्यावरणविद् राजेन्‍द्र सिंह कहा कहना है कि ऐसा कर लोग खुद को मौत को दावत दे रहे हैं। हालांकि कानूनन नदी के अंदर निर्माण करना गलत है। पर भ्रष्‍टाचार के आगे सारे कानून बेकार से हो जाते हैं। यमुना को बचाने के लिए लोगों को खुद ही आगे आना होगा।

3 comments:

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

मुम्बई की मीठी नदी ने जो तांडव दिखाया था उसे अभी लोग भूलें नहीं होंगे. यमुना तो वैसे भी यम की बहन है. उसमें जो कुछ ज्यादतियां की जा रही हैं, उसका जवाब शायद जल्द ही आए.

Sanjay Tiwari said...

ठीक कह रहे हैं भाई, लेकिन सरकारों को रियल एस्टेट बिजनेस से मिलनेवाली प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष कमाई से है. लोग मरे या जिएं.

Anonymous said...

THIS MUST BE SUPPLIMENTED WITH LOCAL SISMOGRAPHY SENSETIVE MAP,TO UNDERSTAND THE SENSETIVITY OF THE SITUATION.
THANKS,KEEP IT UP
REGARDS
ER.AKSHAY KUMAR VERMA
JAIPRABHA NAGAR
MUZAFFARPUR
ak_verma100@rediff.com