Wednesday, September 19, 2007

पानी की जगह यमुना में है बालू ही बालू

-सन्‍मय प्रकाश
अविरल यमुना नदी में पानी की जगह बालू ही बालू है। नदी की तलहटी में जगह-जगह बालू के टीले खड़े हो गए हैं। पानी को बहने के लिए भी रास्‍ता तलाशना पड़ रहा है। दिल्‍ली से मथुरा तक बांधों की शृंखला ने नदी की धार पहले ही खत्‍म कर दी थी। यही कारण है कि अब बालू इसकी राह में दीवार बनकर खड़े हो गए हैं। प्रदूषण मुक्‍त करने के नाम पर अरबों रुपए खर्च करने वाली सरकार और एजेंसियों को दुर्व्‍यवस्‍था के इस आलम की चिंता नहीं है। अगर यमुना के तलहटी से बालू नहीं हटाया गया तो इसके मरने की नौबत आ जाएगी।
अबतक यमुना के जीवन के लिए प्रदूषण ही एक समस्‍या नजर आ रही थी। इसके लिए तमाम रणनीति बनाई गई। लेकिन रणनीतिकारों ने यह नहीं सोचा कि सदा अविरल बहने वाली इस नदी को आगे बढ़ने के लिए चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। आज यमुना के लिए यह सबसे प्रमुख समस्‍या बनकर उभर रही है। दिल्‍ली से आगरा तक पहुंचने में चार बैराज को पार करने में गंदे पानी सीवरेज से भरी यमुना की धार तार-तार हो जाती है। काले रंग में रंगी यमुना को ताजमहल के पास पहुंचने के लिए बालू के टीलों से मशक्‍कत करनी पड़ रही है। बालू इस कदर जमा हो गया है कि कई जगह तीन फिट पर ही नदी बह रही है। आगरा के जवाहर पुल, स्‍ट्रेची पुल के पास तलहटी की स्थिति नदी के बाहर की जमीन से ज्‍यादा ऊंची हो गई है। जगह-जगह बालुओं के टापू बन गए हैं। हालत यह है कि कुछ जगह नदी को पार करने के दौरान पानी कमर तक ही आता है। यदि ड्रेजर से बालुओं को यमुना की तलहटी से हटा लिया जाय तो पानी के बहाव मं गति आ जाएगी। इससे पानी के स्‍वयं स्‍वच्‍छ होने में सहायता मिलेगी। यमुना एक्‍शन प्‍लान-द्वितीय के प्रभारी सुरेश चंद्रा कहते हैं कि ड्रेजिंग का काम राष्‍ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय (एनआरसीडी) का है। लेकिन पूछ जाने पर कि नदी के जीवन के लिए क्‍या कोई प्रस्‍ताव भेजे गए हैं? उन्‍होंने बताया कि इस संबंध में कभी सोचा नहीं गया। गौरतलब है कि यमुना एक्‍शन प्‍लान एनआरडीसी के अंतर्गत चल रहा है। कुछ वर्ष पहले ड्रेजर मंगाकर बालू हटाए जाने की बात हुई थी, हालांकि कोई कदम नहीं उठाए गए। अभी प्रशासन ने छह स्‍थान पर बालू उत्‍खनन का ठेका दिया है। हालांकि यह नदी में जम रहे बालू को हटाने में नाकाफी है। पर्यावरणविद् बृज खंडेलवाल का कहना है कि अगर बालू नहीं हटाए गए तो नदी को बचाने की कोशिश बेकार हो जाएगी।

2 comments:

अनिल रघुराज said...

यमुना को बचाने के लिए प्रदूषण के साथ ही बालू को हटाने की जरूरत है। अच्छा पहलू उठाया है आपने। वरना लोग सिर्फ प्रदूषण की बात करते हैं।

Anita kumar said...

सिर्फ़ यमुना ही नहीं मुझे तो लगता है कि कुछ सालों में कोई भी नदी नही बचेगी इतना प्रदूशण है इनमें