उत्तर प्रदेश सरकार ने मथुरा रिफाइनरी का सीवेज यमुना में डालने पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब इसके पानी का सम्पूर्ण उपयोग सिंचाई और भूजल रिचार्ज करने में किया जायेगा। प्रमुख सचिव, नगर विकास डीसी लाखा ने मथुरा में आलाधिकारियों की बैठक में यह फैसला सुनाया है। रिफाइनरी को इसके लिये विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने का निर्देश दिया गया है। ताकि पानी का अन्य उपयोग हो सके। इस निर्णय से पर्यावरण प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
गौरतलब है कि पिछले महीने मछलियों के मरने की घटना के बाद केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और जल संस्थान की टीम ने रिफाइनरी की ड्रेन, बरारी में तैलीय पदार्थ की पड़त देखी थी। पहले से ही प्रदूषण की मार झेल रही यमुना को दोहरी मार झेलनी पड़ रही थी। तेल की पड़त की वजह से पानी में ऑक्सीजन बनने की प्रक्रिया में रुकावट आ जाती थी। इसकी वजह से नवम्बर महीने में कम से कम पांच बार हजारों की संख्या में मछलियां मर गई। रिपोर्ट का कहना था कि यमुना में इस तरह का ड्रेन जाना खतरे से खाली नहीं है। इसके बाद प्रमुख सचिव डीसी लाखा ने निर्देश दिया कि रिफाइनरी का सारा पानी (सीवेज) सिंचाई और अंडरग्राउंड वाटर रिचार्ज के लिये इस्तेमाल किया जाय। लेकिन इससे पहले लगातार कई दिनों तक रिफाइनरी से निकल रहे पानी की गहनता से जांच की जाय। अगर भूजल के रिचार्ज के लिये भी यह खतरनाक है तो किसी दूसरे तरीके से सीवेज का इस्तेमाल किया जाय। यह भी कहा गया है कि अगर पानी की गुणवत्ता ठीक नहीं है तो इसे जानवरों के पीने के लिये भी इस्तेमाल में न लाया जाय।
1 comment:
अच्छी खबर. अब सख्ती से अमल होना चाहिए।
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