केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का खुलासा
यमुना में मथुरा रिफाइनरी का पैट्रोलियम बेस्ड हाइड्रोकार्बन (तेल) बह रहा है। इससे नदी के पानी पर तैलीय पदार्थ की परत बन गई है। उद्योगों और शहरों का प्रदूषण झेल रही यमुना में अब रिफाइनरी का तेल आने से जलीय जीवों पर खतरा उत्पन्न हो गया है। पांच नवम्बर से 17 नवम्बर तक यमुना में चार बार मछलियां मर चुकी हैं। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संयुक्ति टीम ने यह खुलासा किया है।
यमुना के पानी को शुद्ध कर शहर में पेयजल की आपूर्ति की जाती है। पैट्रोलियम बेस्ड हाइड्रोकार्बन युक्त पानी के सेवन से कैंसर की प्रबल संभावना होती है। अगर मथुरा रिफाइनरी में लापरवाही का दौर चलता रहा तो लोगों पर भी जबरदस्त दूरगामी परिणाम देखने को मिलेगा। सीपीसीबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि मथुरा रिफाइनरी की ड्रेन बरारी में तैलीय पदार्थ का उत्तप्रवाह है। यह सीधे यमुना में जा रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस मामले पर मथुरा रिफाइनरी को कड़ी चेतावनी दी है। बोर्ड ने कहा है कि नाले का पानी रिफाइनरी से आता है। ड्रेन में मानक से अधिक तेल की मात्रा जलीय जीवों के लिए खतरनाक है। दूसरी ओर मंडलायुक्त सीताराम मीना ने केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सचिव से दिल्ली और हरियाणा में प्रदूषणकारी इकाइयों पर लगाम लगाने की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा है कि कार्तिक मास में यमुना की दुर्दशा से लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही है। मंडलायुक्त ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष को भी पत्र भेजकर आवश्यक कदम उठाने को कहा है।
गौरतलब है कि वर्ष 2001 में अमेरिका के ब्लू यमुना फाउंडेशन के अध्यक्ष सुविजॉय दत्ता ने नदी में इस पैट्रोलियम पदार्थ के होने की बात कही थी। नाव से यमुना पार करते समय उन्होंने ङैलाश के पास जमीन से बुलबुले उठते हुए देखा था। यह बुलबुला पानी पर तैतीय परत बना रहा था। पानी के नमूने की जांच अमेरिका में हुई थी। लेकिन उस वक्त प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मथुरा रिफाइनरी ने इसे खारिज कर दिया था। श्री राय का कहना था कि जमीन के रास्ते नालों से होता हुआ यह पदार्थ यमुना में जा रहा है। कहीं न कहीं से रिफाइनरी का तेल रिस रहा है।
1 comment:
तरक्की का फल? विकास की देन? और क्या.
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