...............-सरोज कुमार वर्मा
पीठ पर बस्ते का पहाड़
और वाटर-बॉटल में चुल्लू भर समंदर लिये
साक्षी स्कूल जा रहा है।
जूते काट रहे हैं पांव
गरदन कस रही है टाई
पीछे लदी किताब-कॉपियों के कारण
बैलेंस बनाये रखने की कोशिश में
आगे झुकी-झुकी दुख रही है कमर
मगर इन सब के बावजूद
साक्षी तेज-तेज कदमों से
स्कूल जा रहा है
कि देर हो जाने पर
क्लास से बाहर रहना पड़ेगा
या भरना पड़ेगा जुर्माना।
साक्षी ने आज होमवर्क नहीं किया
कल आई थी बुआ की बेटी झिलमिल
वह उसी के साथ खेलते-खेलते सो गया था
पर अभी स्कूल जाते
कांप रहा है उसका मन
कि इंग्लिश वाले सर
बड़ी बेरहमी से पीटते हैं।
साक्षी कभी-कभी स्कूल जाना नहीं चाहता
वह तितलियों के पीछे भागना चाहता है
उड़ाना चाहता है पतंग
खरगोश के बच्चे के साथ खेलना चाहता है
और चाहता है बाबा के पास गांव चला जाना
मगर उसे छुट्टियां नहीं मिलती।
पापा कहते हैं – पढ़ो बेटा! खूब पढ़ो
तुम्हें कलक्टर बनना है
मम्मी कहती है – नहीं। डॉक्टर;
मगर साक्षी से कोई नहीं पूछता
वह क्या बनना चाहता है?
उसे पसंद है चित्र बनाना
गीत गाना और बजाना वायलिन।
लेकिन साक्षी क्या करे?
कहां फेंक आये पीठ पर लदा पहाड़?
कैसे खोले गरदन कसी टाई की गांठ?
आसमान में उड़ते पंछियों को देखकर
सड़क पर लगे माइल-स्टोन होने से
खुद को कैसे बचाये
सोचता हुआ साक्षी स्कूल जा रहा है।
पीठ पर बस्ते का पहाड़
और वाटर-बॉटल में चुल्लू भर समंदर लिये
साक्षी स्कूल जा रहा है।
जूते काट रहे हैं पांव
गरदन कस रही है टाई
पीछे लदी किताब-कॉपियों के कारण
बैलेंस बनाये रखने की कोशिश में
आगे झुकी-झुकी दुख रही है कमर
मगर इन सब के बावजूद
साक्षी तेज-तेज कदमों से
स्कूल जा रहा है
कि देर हो जाने पर
क्लास से बाहर रहना पड़ेगा
या भरना पड़ेगा जुर्माना।
साक्षी ने आज होमवर्क नहीं किया
कल आई थी बुआ की बेटी झिलमिल
वह उसी के साथ खेलते-खेलते सो गया था
पर अभी स्कूल जाते
कांप रहा है उसका मन
कि इंग्लिश वाले सर
बड़ी बेरहमी से पीटते हैं।
साक्षी कभी-कभी स्कूल जाना नहीं चाहता
वह तितलियों के पीछे भागना चाहता है
उड़ाना चाहता है पतंग
खरगोश के बच्चे के साथ खेलना चाहता है
और चाहता है बाबा के पास गांव चला जाना
मगर उसे छुट्टियां नहीं मिलती।
पापा कहते हैं – पढ़ो बेटा! खूब पढ़ो
तुम्हें कलक्टर बनना है
मम्मी कहती है – नहीं। डॉक्टर;
मगर साक्षी से कोई नहीं पूछता
वह क्या बनना चाहता है?
उसे पसंद है चित्र बनाना
गीत गाना और बजाना वायलिन।
लेकिन साक्षी क्या करे?
कहां फेंक आये पीठ पर लदा पहाड़?
कैसे खोले गरदन कसी टाई की गांठ?
आसमान में उड़ते पंछियों को देखकर
सड़क पर लगे माइल-स्टोन होने से
खुद को कैसे बचाये
सोचता हुआ साक्षी स्कूल जा रहा है।
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