देश के सर्वाधिक जल प्रदूषित चार शहरों में आगरा भी शामिल है। ताजनगरी का भूमिगत जल पीने योय नहीं है। यह चिंताजनक स्तर तक हानिकारक रसायन युक्त तथा कई बीमारियों को दावत देने वाला है। शहर की अव्यवस्थित सीवरेज प्रणाली व उद्योगों से निकलने वाले रसायनिक प्रवाह का समुचित निस्तारण न होना इसका प्रमुख कारण है। आगरा, चेन्नई, वियजवाड़ा और कायंबटूर में क्चलोराइड की मात्रा प्रतिलीटर एक हजार मिलीग्राम है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कुछ महीने पहले जारी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
आगरा समेत देशभर के प्रमुख शहरों को चिह्नित कर भूजल गुणवत्ता आकलन 2006-2007 नामक राष्ट्रव्यापी अध्ययन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इन शहरों में स्थापित हैंडपंप, ट्यूबवैल व बोरिंग आदि से एकत्र कर गए नमूनों के प्रयोगशाला अध्ययन के बाद केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिकों ने जो रिपोर्ट तैयार की है, वह ताजनगरी समेत कई अन्य शहरों में इस्तेमाल किए जा रहे भूजल की गणवत्ता पर सवाल खड़े करती है। यहां से लिए गए भूजल के नमूनों में क्लोराइड, नाइट्रेट व फ्लोराइड की मात्रा नुकसानदायक स्तर तक पहुंच चुकी है। रिपोर्ट में इसके लिए आगरा की अव्यवस्थित सीवरेज प्रणाली को काफी हद तक जिम्मेदार माना गया है। इसके अनुसार, महानगर में हर रोज औसतन करीब दो सौ मिलियन लीटर सीवेज खुले में बहा दिया जाता है, जो रिसकर जमीन के नीचे पहुंचकर भूजल को प्रदूषित कर देता है। शहर व आसपास स्थित औद्योगिक इकाइयों से बगैर शोधित किए निकलने वाला रासायनिक प्रवाह भी अंततः रिसकर जमीन के नीचे चला जाता है। रासायनों से फ्लोरोसिस व मानसिक बीमारी आदि होने की संभावना होती है।
रिपोर्ट के निष्कर्षो पर यकीन करें तो ताजनगरी के अधिकांश क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा रहा भूमिगत जल पीने के लायक नहीं है। प्रयोगशाला परीक्षणों ने भी इस बात की पुष्टि की है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा इकट्ठे किए गए 50 प्रतिशत से अधिक नमूनों में क्लोलोराइड की मात्रा बहुत र्यादा है। आगरा के 82 प्रतिशत से अधिक नमूनों में क्लोराइड की मात्रा भी अत्यधिक है। इसी तरह नाइट्रेट की मात्रा भी हानिकारक सीमा से अधिक पाई गई। रिपोर्ट में उजागर हुए आंकड़ों के मुताबिक, आगरा के भूमिगत जल के कुल नमूनों में से 95 प्रतिशत से अधिक में कुल घुलनशील रसायनों की मात्रा जरूरत से र्यादा है, जो जन स्वास्थ्य की दृष्टि से नुकसानदायक है। यह कई जानलेवा बीमारियों को दावत देने वाला है। जिन अन्य प्रमुख शहरों की रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है। मेरठ और लखनऊ में पानी का स्तर मानक के अनुसार बताया गया है।
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